लखीमपुर हिंसा में कब-कब क्या हुआ देखें अब तक पूरी रिपोर्ट
लखीमपुर ज़िला मुख्यालय से क़रीब 75 किलोमीट दूर नेपाल की सीमा से सटे तिकुनिया गाँव में हुई हिंसा और आगज़नी में अब तक आठ लोगों की मौत हो गई है. इनमें चार किसान और चार अन्य लोग शामिल हैं. चार अन्य लोगों में दो बीजेपी कार्यकर्ता और दो ड्राइवर हैं. इनके अलावा 12 से 15 लोग घायल भी हैं.
मरने वाले किसानों में दलजीत सिंह (35), गुरवेंद्र सिंह (18), लवप्रीत सिंह (20) और नक्षत्र सिंह (55) शामिल हैं.
तिकुनिया की इस घटना में साधना न्यूज़ चैनल के निघासन तहसील संवाददाता रतन कश्यप की भी कवरेज करने के दौरान मौत हो गई है. गाड़ी की ज़ोरदार टक्कर से वो सड़क किनारे पानी में जा गिरे थे वो बीजेपी से भी जुड़े हुए थे.
मारे गए किसानों के शवों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और प्रशासन के बीच समझौता हो गया है. दरअसल किसानों ने चार मांगें प्रशासन के आगे रखी थीं जिनमें से कुछ मांगों पर सहमति बनी है.
इनमें मृतक किसानों के आश्रितों को नौकरी, 8 दिन में आरोपियों की गिरफ़्तारी, मृतक के परिजनों को 45-45 लाख रुपये और घायलों को 10-10 लाख रुपये का मुआवज़ा और घटना की न्यायिक जांच पर समझौता हो गया है.
लखीमपुर हिंसा के लिए मंत्री अजय मिश्र ने किसानों में शामिल उपद्रवियों को ज़िम्मेवार ठहराया
यूपी पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ये बातें कही हैं.
क्या है तिकुनिया में हुई हिंसा का घटनाक्रम?
3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक़ लखीमपुर खीरी के दौरे पर थे, जहाँ ज़िले के वंदन गार्डन में उन्हें सरकारी योजनाओं का शिलान्यास करना था.
इस कार्यक्रम के लिए पहले वो हेलीकॉप्टर से आने वाले थे, लेकिन शनिवार सुबह प्रोटोकॉल बदला और वो सड़क से लखीमपुर पहुंचे.
संयुक्त किसान मोर्चा ने उपमुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के विरोध और काफ़िले के घेराव की कॉल दी थी जिसमें लखीमपुर और उत्तर प्रदेश के तराई इलाके के दूसरे ज़िलों से किसानों को शामिल होने आह्वान किया गया था.
लगभग एक से डेढ़ बजे के बीच में केशव प्रसाद मौर्य और अजय मिश्र लखीमपुर ज़िला मुख्यालय से योजनाओं का शिलान्यास कार्यक्रम ख़त्म करके नेपाल बॉर्डर पर टेनी के गाँव बनवीरपुर के लिए रवाना हुए जो तिकुनिया से महज़ चार किलोमीटर की दूरी पर है.
तिकुनिया के एक प्राइमरी स्कूल में 2 अक्टूबर को हुए दंगल के विजेताओं का पुरस्कार समारोह था. अजय मिश्र को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने के सम्मान में इस बार का कार्यक्रम ज़्यादा बड़ा और भव्य था. इसीलिए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य उसके मुख्य अतिथि थे.
लेकिन स्थानीय किसानों ने मंत्री अजय मिश्र टेनी का विरोध करने की ठान रखी थी.
लखीमपुर खीरी हिंसा के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने किसानों के बीच शामिल उपद्रवियों को जिम्मेवार ठहराया
कुछ दिन पहले लखीमपुर के सम्पूर्णानगर के एक किसान सम्मेलन में मंत्री अजय मिश्र मंच से किसानों को धमकाते नज़र आये थे. उन्होंने काले झंडे दिखाने वाले किसानों को चेतावनी देते हुए कहा था, “मैं केवल मंत्री नहीं हूँ या सांसद विधायक नहीं हूँ. जो मेरे सांसद और विधायक बनाने से पहले मेरे विषय में जानते होंगे, उनको यह भी मालूम होगा कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूँ.”
“और जिस दिन मैंने उस चुनौती को स्वीकार करके काम कर लिया, उस दिन पलिया नहीं, लखीमपुर तक छोड़ना पड़ जायेगा, यह याद रखना.”
इस तरीके के तल्ख़ बयानों के बाद किसानों में ख़ासा गुस्सा था और उन्होंने 29 सितम्बर को लखीमपुर के खैरटिया गांव में एक प्रतिज्ञा समारोह में एलान किया कि वो शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध जताते रहेंगे.
तिकुनिया में रविवार का घटनाक्रम
रविवार सुबह से ही सैकड़ों किसान तिकुनिया के महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज पहुँच गए और स्कूल में बने हेलीपैड को घेर लिया. वे लोग “भारत माता की जय” के नारे लगाते रहे और काले झंडों के साथ विरोध शुरू कर दिया.
बाद में जब ख़बर फैली कि मंत्री सड़क के रास्ते गाँव पहुँच रहे हैं तो किसान तिकुनिया से बनवीरपुर की सरहद पर गाड़ियों से रास्ता रोक कर बैठ गए.
तक़रीबन डेढ़ से ढाई बजे के बीच में तीन गाड़ियों का एक छोटा काफ़िला तिकुनिया पहुंचा. अजय मिश्र टेनी और उनके पुत्र आशीष मिश्र के मुताबिक़ ये काफ़िला उप मुख्यमंत्री के बड़े काफ़िले को बनवीरपुर गाँव तक लाने के लिए पास के एक रेलवे फाटक के लिए रवाना हुआ था. और फिर ये तीनों गाड़ियां तिकुनिया जा पहुँचीं जहाँ किसान उप-मुख्यमंत्री के सरकारी काफ़िले का इंतज़ार कर रहे थे.
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वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का आरोप है कि गाड़ियों ने किसानों को तेज़ी से भीड़ पर चला कर रोंधना शुरू कर दिया जिसमें चार किसान कुचल कर मर गए और लगभग एक दर्जन लोग घायल हो गए.
तमाम वायरल वीडियो में एक-दो किसानों के शव सड़क के किनारे दिख रहे हैं. किसान नेताओं का आरोप है कि मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा भी उस वक़्त गाड़ी में मौजूद थे और उन्होंने एक किसान को गोली भी मारी.
प्रदर्शन में शामिल और हादसे के चश्मदीद संयुक्त मोर्चा के सदस्य पिंडर सिंह सिद्धू ने बताया, “सब माहौल ठीक था, क़रीब ढाई बजे अजय मिश्र जी का बेटा कुछ गुंडों के साथ आया और जो किसान वहाँ अपने झंडे लेकर घूम रहे थे उन पर अपनी गाड़ी चढ़ा दी. उनके लड़के ने गोली भी चलाई.”
“बहुत दुखद घटना थी. हमारे चार किसान भाई शहीद हो गए हैं. जिन किसानों ने वोट दिया है उनके प्रदर्शन पर गाड़ी चढ़ाना, रौंदना कहां की संस्कृति है, ये सत्ता का नशा है. मंत्री अजय मिश्र ने जो चैलेंज दिया है उसका जवाब लोग हर घर से निकलकर देंगे.”
हालांकि अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र ने इन आरोपों से साफ़ इंकार किया है. उनका कहना है कि अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए वो सबूत पेश करेंगे.
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लेकिन वायरल वीडियो में किसानों का हिंसात्मक रिएक्शन भी क़ैद हुआ है. वीडियो में आक्रोशित भीड़ एक जीप पर लाठियां बरसा रही है और गाड़ी से बाहर गिरे दो लोगों को भी लाठियों से मार रही है.
भीड़ गाड़ी को पलट कर सड़क से नीचे धकेल देती है. इस हिंसा और हमले के बाद का मंज़र कुछ तस्वीरों में क़ैद हुआ जिसमें सड़क के किनारे दो लाशें पड़ी थीं और उसके इर्द-गिर्द किसान खड़े हुए थे.
कैसे कर रहे हैं मंत्री और उनके बेटे अपना बचाव
मंत्री के बेटे आशीष मिश्र अपने बचाव में कहते हैं, “हमारे ही कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है और आप कह रहे हैं कि हमारी गाड़ी ने किसानों को रौंद डाला? हम लोगों को यह कतई अंदाज़ा नहीं था कि इस प्रकार की घटना हो जाएगी. हमें तो लगा कि काले झंडे दिखाएंगे. लेकिन किसी की हत्या होने का आभास नहीं था.”
अपने बयानों पर सफाई देते हुए केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र ने कहा, “मैंने किसानों के ख़िलाफ़ कोई बात नहीं कही, सिर्फ होर्डिंग फाड़ने वालों के ख़िलाफ़ बात की थी. कुछ लोग जो इस देश में अशांति फैलाना चाहते हैं उन्होंने इसे किसानों से जोड़ने का प्रयास किया है.
आंदोलन करने वाले लोग बाहर से लाए गए और बुलाये गए. ये हमारे कार्यकर्ताओं पर आक्रमण है, उन पर आक्रमण किया गया, उनको प्रताड़ित किया गया, उनकी हत्या की गई. कई लोग घायल भी हुए हैं, कई गाड़ियां भी जलाई गई हैं. उनके विरुद्ध मैं एफ़आईआर दर्ज करके करवाई करवाऊंगा.”
आपको बताते चलें कि किसान नेता राकेश टिकैत रविवार को रात 12 बजे से 12.20 बजे पूरनपुर में सड़क पर धरना दे रहे किसानों के बीच रहे। रात में ही उन्होंने किसानों से कहा था कि वे अपने-अपने घरों को चले जाएं लेकिन कोई भी किसान घर के लिए नहीं गया। राकेश टिकैत ने यह भी कहा था कि वह सोमवार को सुबह अगले आंदोलन के विषय में बताएंगे, लेकिन किसानों ने कह दिया कि वह तभी सड़क से हटेंगे जब किसानों को रौंदने के आरोप से घिरे मंत्री के बेटे पर कार्रवाई हो जाए। किसानों के तेवर तीखे थे और कई किसानों ने बताया कि रात 11 बजे जब से उन्होंने मौत का वह मंजर सुना तब से दोषियों पर कार्रवाई के लिए वह डटे हुए हैं।
गाजीपुर बॉर्डर को सील करती पुलिस फोर्स
जब हमारे किसानों को कार से कुचला गया उस वक्त मैं और किसान नेता तजिंद्र सिंह बिर्क अपनी-अपनी गाड़ियों की ओर बढ़ रहे थे। क्योंकि मंत्री का रूट प्रशासन ने डायवर्ट कर दिया था। इसलिए काले झंडे दिखाने का कार्यक्रम लगभग समाप्त होने की ओर था, लेकिन सत्ता के नशे में चूर नेताओं की दो गाड़ियां अचानक आईं और सड़क के किनारे पर खड़े किसानों को कुचलती हुई आगे बढ़ती चलीं। जो असंतुलित होकर पलट गईं।
मेरे साथ मौजूद बिर्क को भी जबरदस्त टक्कर लगी। वे गिर गए। कई और किसान भी घायल हुए। लवप्रीत सिंह की मौत मेरे सामने ही हुई। वह अपनी दो बहनों का अकेला भाई था। जब मैंने तिकुनिया से लौटकर रात 11 बजे पूरनपुर में किसानों को यह मंजर सुनाया तो अधिकतर की आंखें नम हो गईं। गुस्से के आंसू निकल पकड़े। किसानों का कहना था कि मंत्री और उसके बेटे पर कार्रवाई की जाए। किसानों ने कहा कि जब तक कार्रवाई नहीं होती तब तक हम घर नहीं लौटेंगे।
* मनप्रीत सिंह, जिलाध्यक्ष, अन्नदाता किसान यूनियन
तिकुनिया से लौटे किसानों ने जब पूरनपुर में किसानों को वहां का आंखों देखा हाल सुनाया तो सैकड़ों किसानों के चेहरे आक्रोश से भर आए। आंखें नम हो गईं। आक्रोश के चलते तिकुनिया की घटना के बाद से ही किसान रविवार को शाम पूरनपुर में सड़कों पर उतर आए हैं। अन्नदाता किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष मनप्रीत सिंह ने 400-500 किसानों के बीच मौत का पूरा किस्सा बयां किया।
4 अक्टूबर सोमवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता लखीमपुर के लिए निकले अब उन्हें गिरफ्तार कर पुलिस अपने कस्टडी में ले ली जिस वजह से पूरे प्रदेश स्तर पर समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा प्रत्येक जिलों में धरना प्रदर्शन का दौर जारी रहा।
प्रियंका गांधी सीतापुर में खीरी लखीमपुर जाते हुए गिरफ्तार की गई उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार एवं पुलिस प्रशासन पर अन लीगल तरीके से गिरफ्तारी का आरोप लगाया और कहा बिना किसी वारंट के किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता प्रियंका गांधी इस जिद पर अभी तक अड़ी हुई हैं जब तक खीरी लखीमपुर उन पीड़ित परिवारों से नहीं मिल लेती वह अनशन पर पुलिस अभिरक्षा में ही बनी रहेगी ।
आम आदमी पार्टी से संजय सिंह को भी लखीमपुर जाते वक्त रास्ते में पुलिस ने गिरफ्तार किया यूं कहा जाए तो संपूर्ण विपक्षी दल पूरी तरह से खीरी लखीमपुर के हिंसा को लेकर देशव्यापी आंदोलन के मूड में है देखना यह होगा कि क्या योगी सरकार लखीमपुर हिंसा को आसानी से सुलझा पाती है एवं आने वाले विधानसभा चुनाव में इसके असर से बच पाती है।
लाइव भारत समाचार से ओंकार नाथ श्रीवास्तव की खास रिपोर्ट