लाइव भारत समाचार में आपका स्वागत है   [video width="640" height="368" mp4="https://livebharatsamachar.com/wp-content/uploads/2023/07/WhatsApp-Video-2023-07-02-at-17.12.24.mp4"][/video] बस्ती,02 जुलाई -लाइव भारत समाचार :- कत्थक गुरू पंडित अर्जुन मिश्रा को उनके आठवीं जयंती पर नृत्य कार्यक्रमों के साथ याद किया गया। कोतवाली के निकट नृत्य धाम पर नृत्य गुरू मास्टर शिव के संयोजन में बाल कलाकारों ने अनेक प्रस्तुतियां देकर मन मोह लिया। मास्टर शिव ने बताया कि बिरजू महाराज के अनन्य शिष्य पं. अर्जुन मिश्रा ने लखनऊ को अपनी कर्मस्थली बनाया और कथक में बैले शुरू किया। उन्होने सोच को कथक के माध्यम से मंच पर साकार किया। उन्होने देश भक्ति पर आधारित बैले भी बनाए। अद्भुत नृत्य नाटिकाएं बनाईं। कथक को प्रकृति से भी जोड़ा, नृत्य के जरिए उसका चित्रण किया। तानसेन के तरानों के साथ ही कवियों की संरचनाओं पर नृत्य किया। सूफी कथक की शुरुआत का श्रेय भी आपको ही जाता है। वर्ष 2015 में उनका निधन हो गया। कथक के क्षेत्र में नव प्रयोग के लिये वे सदैव याद किये जायेंगे। पं. अर्जुन मिश्रा के पुत्र अनुज मिश्रा ने कलाकारों को आशीर्वाद दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. विनायक जायसवाल ने पं. अर्जुन मिश्रा के चित्र पर माल्यार्पण करते हुये कहा कि जीवन में नृत्य का महत्वपूर्ण योगदान है, यह हमारी भारतीय संस्कृति में रचा बसा तो है ही, इसके आध्यात्मिक आयाम भी है। पंडित अर्जुन मिश्रा की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में तृषा, अहम, सोमाया, काव्या, गौरी, बीरा, आशी, प्रबल, अनन्या, मिष्ठी, काव्या और माही ने शिव ताण्डव की प्रस्तुति दिया। गुरू वंदना आंशी और कृष्ण वंदना शालिनी ने किया। दिमिक, डिमिक, धुन मृदंग बाजे’ को आदित्य ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर महेन्द्र, प्रियंका, प्रीती, नीलू, अन्नू, माधुरी, प्रिया आदि उपस्थित रहे। रिपोर्ट: अनिल श्रीवास्तव लाइव भारत समाचार
सोमवार, 23 दिसम्बर , 2024

जयंती पर नृत्य के साथ याद किये गए कथक गुरु पं0अर्जुन मिश्र, नृत्य कर छात्रों ने दिया प्रस्तुति

 

बस्ती,02 जुलाई -लाइव भारत समाचार :- कत्थक गुरू पंडित अर्जुन मिश्रा को उनके आठवीं जयंती पर नृत्य कार्यक्रमों के साथ याद किया गया। कोतवाली के निकट नृत्य धाम पर नृत्य गुरू मास्टर शिव के संयोजन में बाल कलाकारों ने अनेक प्रस्तुतियां देकर मन मोह लिया।
मास्टर शिव ने बताया कि बिरजू महाराज के अनन्य शिष्य पं. अर्जुन मिश्रा ने लखनऊ को अपनी कर्मस्थली बनाया और कथक में बैले शुरू किया। उन्होने सोच को कथक के माध्यम से मंच पर साकार किया। उन्होने देश भक्ति पर आधारित बैले भी बनाए। अद्भुत नृत्य नाटिकाएं बनाईं। कथक को प्रकृति से भी जोड़ा, नृत्य के जरिए उसका चित्रण किया। तानसेन के तरानों के साथ ही कवियों की संरचनाओं पर नृत्य किया। सूफी कथक की शुरुआत का श्रेय भी आपको ही जाता है। वर्ष 2015 में उनका निधन हो गया। कथक के क्षेत्र में नव प्रयोग के लिये वे सदैव याद किये जायेंगे। पं. अर्जुन मिश्रा के पुत्र अनुज मिश्रा ने कलाकारों को आशीर्वाद दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. विनायक जायसवाल ने पं. अर्जुन मिश्रा के चित्र पर माल्यार्पण करते हुये कहा कि जीवन में नृत्य का महत्वपूर्ण योगदान है, यह हमारी भारतीय संस्कृति में रचा बसा तो है ही, इसके आध्यात्मिक आयाम भी है।
पंडित अर्जुन मिश्रा की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में तृषा, अहम, सोमाया, काव्या, गौरी, बीरा, आशी, प्रबल, अनन्या, मिष्ठी, काव्या और माही ने शिव ताण्डव की प्रस्तुति दिया। गुरू वंदना आंशी और कृष्ण वंदना शालिनी ने किया। दिमिक, डिमिक, धुन मृदंग बाजे’ को आदित्य ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर महेन्द्र, प्रियंका, प्रीती, नीलू, अन्नू, माधुरी, प्रिया आदि उपस्थित रहे।

रिपोर्ट: अनिल श्रीवास्तव लाइव भारत समाचार

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *