लाइव भारत समाचार में आपका स्वागत है बस्ती, 15 अप्रैल : लाइव भारत समाचार :- शहर में होटलों की भरमार है। नई जानकारी सामने आई है कि सराय एक्ट में अनेक होटलों का रजिस्ट्रेशन नही है। "अशोक श्रीवास्तव पत्रकार की समीक्षा" सूत्रों की मानें तो शहर का सबसे महंगा होटल जो उद्घाटन के बाद भी दुर्भाग्य से चालू नही हो सका, सराय एक्ट में रजिस्टर्ड नही है। हैरानी इस बात की है कि महज एक होटल अफसरों और मीडिया के टारगेट पर है। बाकी उनके रहमोकरम का लाभ ले रहे हैं। जब से ये पता चला है कि शहर के तमाम होटल सराय एक्ट में पजीकृत नही हैं, होटलों में ठहरने वाले भयभीत हैं। "किसे कहते हैं सराय" सराय से आशय ऐसे भवन से माना गया था, जिसे यात्रियों के आश्रय और आवास के लिए प्रयोग में लाया जाता हो। इसका सराय एक्ट में पंजीयन जरूरी होता है। हर शहर में जिलाधिकारी की जिम्मेदारी है कि जब तक होटल का रजिस्ट्रेशन सराय एक्ट में न हो तब तक वहां किसी यात्री का ठहरने न दिया जाये। "सराय एक्ट को जानिये" 155 वर्ष पूर्व ब्रिटिश काल में 1867 में बने सराय एक्ट में स्पष्ट उल्लेख है कि जब तक होटल का पंजीकरण सराय एक्ट में नहीं कर लिया जाएगा, तब तक उसमें किसी यात्री या पर्यटक को नहीं ठहराया जा सकेगा। दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज तक इस एक्ट में बदलाव नही किया गया, इस एक्ट में आज भी होटलों का पंजीकरण किया जा रहा है। "प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी" बस्ती में एक्ट का पालन कराने को लेकर प्रशासनिक अधिकारी गंभीर नही रहे। नतीजा ये है कि कुकरमुत्तों की तरह शहर में होटलों का व्यापार पनप गया। अधिकारियों ने एक्ट का पालन कराने की जिम्मेदारी समझी होती तो बगैर पंजीकरण के होटलों का व्यापार अवैध रूप से नही पनपता, इसके साथ ही उनमें हो रही अवैध गतिविधियों पर भी लगाम लग जाती। "एक्ट के प्रविधान," एक्ट में प्रविधान है कि जिलाधिकारी एक रजिस्टर रखेगा, जिसमें वह स्वयं या उसके द्वारा नामित व्यक्ति अपने अधिकार क्षेत्र के अंदर आने वाले सभी सरायों, उनके संचालकों के नाम, निवास स्थान की प्रविष्टियां भरेगा। इसके लिए कोई शुल्क सराय संचालकों से नहीं लिया जाएगा। सराय जब तक पंजीकृत नहीं कर लिया जायेगा, तब तक उसमें किसी व्यक्ति को ठहराया नहीं जा सकेगा। आम धारणा, आम जनता की धारणा है कि होटलों में अवांछनीय गतिविधियां होती हैं, यहां तक कि देह व्यापार से भी परहेज नही है। वरना वैध तरीकों से होटल का संचालन मुश्किल हो पायेगा, या यूं कहें कि खर्चा भी नही निकलेगा आमदनी की बात तो दूर है। यह सर्वविदित है कि जनपद में होटल कारोबार की आड़ में जुएं के अड्डे, जिस्मफरोशी के धंधे सहित कई असामाजिक कार्यों को अंजाम दिया जाता रहा है। अनेकों मामले पूर्व में सामने आ चुके हैं। प्रशासन के हाथ मुंह किस कारण बंधे हैं यह भी अधिकांश लोग जानते हैं। इन पर भी नजर रखें, होटल ही नही, पिछले एक दशक में बस्ती शहर में मैरेज हॉल, डाइग्नोसिस सेण्टर, निजी स्कूल, निजी हॉस्पिटल, पैथालोजी सेण्टर, ब्यूटी पॉर्लर, मसाज पार्लर, रेस्टोरेन्ट आदि व्यापार बहुत तेजी से बढ़ा है। लेकिन इनकी वैधता पर जिला प्रशासन की नजर नही है। आम तौर पर माना जाता है कि जब कोई घटना घटती है तब प्रशासन नींद से जागता है और उसे मानक याद आते हैं। इससे पहले होमवर्क पूरा रखा जाये तो सवाल भी नही उठेंगे और घटनायें भी बहुत कम होंगी। राजधानी लखनऊ में ऑटो चालक ने महिला यात्री का अपहरण कर उसके साथ रेप किया और उसकी हत्या कर दी। आदित्यनाथ सरकार ने इसे सज्ञान लिया, परिवहन विभाग को आदेश जारी किये गये और पूरे प्रदेश में ऑटो चालकों के वेरीफिकेशन का अभियान चलाया गया। घटनाओं से पहले सोचे प्रशासन, जिला प्रशासन और सम्बन्धित महकमों को चाहिये कि समय से पहले होमवर्क पूरा करे। कमियां मिलने पर उसे दूर कराये इसके बाद मैरेज हॉल, डाइग्नोसिस सेण्टर, निजी स्कूल, निजी हॉस्पिटल, पैथालोजी सेण्टर, ब्यूटी पॉर्लर, मसाज पार्लर, रेस्टोरेन्ट और होटल संचालित करने की अनुमति दे। यहां एक बात का ध्यान देना जरूरी है कि दोहरे मापदंड कानून व्यवस्था को कमजोर करते हैं। जो भी नियम कानून हो उसे बगैर किसी भेदभाव के लागू करे। रिपोर्ट ,बस्ती ब्यूरो : लाइव भारत समाचार
बुधवार, 23 अप्रैल , 2025

शहर में होटलों की भरमार, सराय एक्ट में कितने होटलों का रजिस्ट्रेशन

बस्ती, 15 अप्रैल : लाइव भारत समाचार :- शहर में होटलों की भरमार है। नई जानकारी सामने आई है कि सराय एक्ट में अनेक होटलों का रजिस्ट्रेशन नही है।

“अशोक श्रीवास्तव पत्रकार की समीक्षा”
सूत्रों की मानें तो शहर का सबसे महंगा होटल जो उद्घाटन के बाद भी दुर्भाग्य से चालू नही हो सका, सराय एक्ट में रजिस्टर्ड नही है। हैरानी इस बात की है कि महज एक होटल अफसरों और मीडिया के टारगेट पर है। बाकी उनके रहमोकरम का लाभ ले रहे हैं। जब से ये पता चला है कि शहर के तमाम होटल सराय एक्ट में पजीकृत नही हैं, होटलों में ठहरने वाले भयभीत हैं।

“किसे कहते हैं सराय”

सराय से आशय ऐसे भवन से माना गया था, जिसे यात्रियों के आश्रय और आवास के लिए प्रयोग में लाया जाता हो। इसका सराय एक्ट में पंजीयन जरूरी होता है। हर शहर में जिलाधिकारी की जिम्मेदारी है कि जब तक होटल का रजिस्ट्रेशन सराय एक्ट में न हो तब तक वहां किसी यात्री का ठहरने न दिया जाये।

“सराय एक्ट को जानिये”

155 वर्ष पूर्व ब्रिटिश काल में 1867 में बने सराय एक्ट में स्पष्ट उल्लेख है कि जब तक होटल का पंजीकरण सराय एक्ट में नहीं कर लिया जाएगा, तब तक उसमें किसी यात्री या पर्यटक को नहीं ठहराया जा सकेगा। दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज तक इस एक्ट में बदलाव नही किया गया, इस एक्ट में आज भी होटलों का पंजीकरण किया जा रहा है।

“प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी”

बस्ती में एक्ट का पालन कराने को लेकर प्रशासनिक अधिकारी गंभीर नही रहे। नतीजा ये है कि कुकरमुत्तों की तरह शहर में होटलों का व्यापार पनप गया। अधिकारियों ने एक्ट का पालन कराने की जिम्मेदारी समझी होती तो बगैर पंजीकरण के होटलों का व्यापार अवैध रूप से नही पनपता, इसके साथ ही उनमें हो रही अवैध गतिविधियों पर भी लगाम लग जाती।

“एक्ट के प्रविधान,”

एक्ट में प्रविधान है कि जिलाधिकारी एक रजिस्टर रखेगा, जिसमें वह स्वयं या उसके द्वारा नामित व्यक्ति अपने अधिकार क्षेत्र के अंदर आने वाले सभी सरायों, उनके संचालकों के नाम, निवास स्थान की प्रविष्टियां भरेगा। इसके लिए कोई शुल्क सराय संचालकों से नहीं लिया जाएगा। सराय जब तक पंजीकृत नहीं कर लिया जायेगा, तब तक उसमें किसी व्यक्ति को ठहराया नहीं जा सकेगा।

आम धारणा,

आम जनता की धारणा है कि होटलों में अवांछनीय गतिविधियां होती हैं, यहां तक कि देह व्यापार से भी परहेज नही है। वरना वैध तरीकों से होटल का संचालन मुश्किल हो पायेगा, या यूं कहें कि खर्चा भी नही निकलेगा आमदनी की बात तो दूर है। यह सर्वविदित है कि जनपद में होटल कारोबार की आड़ में जुएं के अड्डे, जिस्मफरोशी के धंधे सहित कई असामाजिक कार्यों को अंजाम दिया जाता रहा है। अनेकों मामले पूर्व में सामने आ चुके हैं। प्रशासन के हाथ मुंह किस कारण बंधे हैं यह भी अधिकांश लोग जानते हैं।

इन पर भी नजर रखें,
होटल ही नही, पिछले एक दशक में बस्ती शहर में मैरेज हॉल, डाइग्नोसिस सेण्टर, निजी स्कूल, निजी हॉस्पिटल, पैथालोजी सेण्टर, ब्यूटी पॉर्लर, मसाज पार्लर, रेस्टोरेन्ट आदि व्यापार बहुत तेजी से बढ़ा है। लेकिन इनकी वैधता पर जिला प्रशासन की नजर नही है। आम तौर पर माना जाता है कि जब कोई घटना घटती है तब प्रशासन नींद से जागता है और उसे मानक याद आते हैं। इससे पहले होमवर्क पूरा रखा जाये तो सवाल भी नही उठेंगे और घटनायें भी बहुत कम होंगी। राजधानी लखनऊ में ऑटो चालक ने महिला यात्री का अपहरण कर उसके साथ रेप किया और उसकी हत्या कर दी। आदित्यनाथ सरकार ने इसे सज्ञान लिया, परिवहन विभाग को आदेश जारी किये गये और पूरे प्रदेश में ऑटो चालकों के वेरीफिकेशन का अभियान चलाया गया।
घटनाओं से पहले सोचे प्रशासन,

जिला प्रशासन और सम्बन्धित महकमों को चाहिये कि समय से पहले होमवर्क पूरा करे। कमियां मिलने पर उसे दूर कराये इसके बाद मैरेज हॉल, डाइग्नोसिस सेण्टर, निजी स्कूल, निजी हॉस्पिटल, पैथालोजी सेण्टर, ब्यूटी पॉर्लर, मसाज पार्लर, रेस्टोरेन्ट और होटल संचालित करने की अनुमति दे। यहां एक बात का ध्यान देना जरूरी है कि दोहरे मापदंड कानून व्यवस्था को कमजोर करते हैं। जो भी नियम कानून हो उसे बगैर किसी भेदभाव के लागू करे।

रिपोर्ट ,बस्ती ब्यूरो : लाइव भारत समाचार

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