रैली निकालकर टीबी बीमारी से लोगों को किया जागरूक
झोलाछाप चिकित्सकों के बजाय सरकारी अस्पताल में इलाज कराने की दी सलाह
ग्रामीणों ने 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने का लिया संकल्प
बलरामपुर, 20 अगस्त। कोविड वैक्सीनेशन सेंटर पर लोगों के टीकाकरण के साथ साथ टीबी के बीमारी के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में जानकारी के अभाव में लोग टीबी बीमारी को सामान्य बीमारी समझकर झोलाछाप डाक्टरों से इलाज कराते है और जब बीमारी गम्भीर रूप धारण कर लेती है तब वे अस्पताल पहुंचते हैं। इसी के जागरूकता के लिए गांवों में अभियान चलाया जा रहा है।
शुक्रवार को उतरौला तहसील क्षेत्र के कचला ईटईरामपुर में स्थित वैक्सीनेशन सेंटर पर लोगों को टीकाकरण के साथ टीबी बीमारी के प्रति रैली निकालक जागरूक किया गया। हैप्पी टू हेल्प फाउंडेशन संस्था के अध्यक्ष अब्दुर्रहमान ने बताया कि गांव में लोगों में गम्भीर बीमारी का आभास तब होता है जब उनकी स्थिति खराब होने लगती है। ग्रामीण जांच कराने के बजाय मेडिकल स्टोर या झोलाछाप चिकित्सक के यहां इलाज कराते रहते है और जब स्थिति खराब हो जाती है तब बड़े अस्पतालों का रूख करते है लेकिन तब तक बहुत देर हो जाती है। ऐसे ही टीबी की बीमारी है जिसके बारे में जागरूकता बहुत जरूरी है। टीबी के बीमारी का इलाज निःशुल्क होता है। इसके साथ ही चिकित्सक की देख रेख में टीबी के मरीज का इलाज किया जाता है। इसके अलावा योजना के माध्यम से 500 रूपये प्रति माह भी बीमार व्यक्ति को पोषण के लिए सरकार द्वारा दिये जाते हैं। एएनएम भाग्यश्री ने बताया कि 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने के लिए सभी का जागरूक होना बहुत जरूरी है। जिससे प्रधानमंत्री के इस संकल्प को पूरा किया जा सके। इस दौरान लोगों को टीबी मुक्त भारत बनाने का संकल्प भी दिलाया गया। रैली के दौरान हितेश कौशल, सुरेश कुमार, अमित कुमार, रंगीलाल सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
-ये हैं टीबी के लक्षण
टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ो को प्रभावित करती है, इसलिए शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले तो सूखी खांसी आती है लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्तों या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच करा लेनी चाहिए। पसीना आना टीबी होने का लक्षण है। मरीज को रात में सोते समय पसीना आता है। वहीं, मौसम चाहे जैसा भी हो रात को पसीना आता है। टीबी के मरीज को अधिक ठंड होने के बावजूद भी पसीना आता है। जिन लोगों को टीबी होती है, उन्हें लगातार बुखार रहता है। शुरुआत में लो-ग्रेड में बुखार रहता है लेकिन बाद संक्रमण ज्यादा फैलने पर बुखार तेज होता चला जाता है। टीबी के मरीज की बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण उसकी ताकत कम होने लगती है। वहीं, मरीज के कम काम करने पर अधिक थकावट होने लगती है। टीबी हो जाने के बाद लगातार वजन घटने लगता है। खानपान पर ध्यान देने के बाद भी वजन कम होता रहता है। वहीं, टीबी के मरीज की खाने को लेकर रुचि कम होने लगती है। टीबी हो जाने पर खांसी आती है, जिसके कारण सांस लेने में परेशानी होती है। अधिक खांसी आने से सांस भी फूलने लगती है।