बस्ती, 21 नवम्बर, लाइव भारत समाचार: ‘ये शाम और ये फूलों का मुरझाना देख उदासी क्यों, जब तय है होगी सुबह, खिलेंगे फूल हजारों नये-नये’ जैसी रचनाओं से समाज को संदेश देने वाले जन कवि बाल सोम गौतम को उनकी सातवीं पुण्य तिथि पर याद किया गया। बालसोम गौतम स्मृति संस्थान की ओर से प्रेस क्लब सभागार में आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में कवि, शायरों ने बालसोम गौतम के साहित्यिक योगदान पर विमर्श किया।
मुख्य अतिथि डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि बालसोम गौतम का रचना संसार विविधता लिये हुये हैं। वे अपने समय के सशक्त हस्ताक्षर थे, उनकी कवितायें हमें संकट में साहस देती है। आयोजक मण्डल द्वारा बाल सोम गौतम की स्मृति में अंग वस्त्र भेंटकर सुदामा राय को सम्मानित किया गया। अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि बाल सोम गौतम को याद करना इतिहास के कई बिन्दुओं को खंगालने जैसा है। वे स्वयं में अप्रतिम कवि थे। उन्होने बालसोम गौतम से जुड़े अनेक प्रसंगों, अनुभवों को साझा किया।
उनकी कविता ‘हर पल गीत प्रेम के गाया, नहीं किसी का हृदय दुःखाया, कौन करे अब लेखा जोखा, जीवन में क्या खोया पाया’ को श्रोताओं ने सराहा। सहायक सूचना निदेशक प्रभाकर तिवारी, सत्यव्रत द्विवेदी, विनोद उपाध्याय, सुरेश सिंह गौतम, रामदत्त जोशी, बटुकनाथ शुक्ल, गोकरननाथ पाण्डेय, महेन्द्र तिवारी, दिनेश कुमार पाण्डेय, रहमान अली ‘रहमान’ अफजल हुसेन अफजल, हरीश दरवेश, तौव्वाब अली, दीपक सिंह प्रेमी आदि ने कहा कि जन कवि बाल सोम गौतम की रचनायें युगों तक लोगों को अंधकार से लड़ने का साहस देंगी। उन्होने मानव मन की पीडा, हर्ष को जो स्वर दिया वह दिलों को छू जाता है। अनेक कवि, शायरों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से बालसोम गौतम की स्मृतियां को साझा किया। बाल सोम गौतम के अधिवक्ता पुत्र सिद्धार्थ गौतम ने अपने पिता की रचनाओं को प्रस्तुत करने के साथ ही आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
रिपोर्ट: बस्ती ब्यूरो लाइव भारत समाचार