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बुंदेलखंड | Guru Purnima Celebration 2021: भारत देश की ताकत अनेकता में एकता है. यही कारण है कि हर त्योहारों को मनाने का देश भर में अलग अलग तरीका देखने को मिलता है. उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में गुरु पूर्णिमा के दिन एक अलग तरह का ही आयोजन किया जाता है. इस आयोजन के बारे में सुनकर आपको थोड़ा अटपटा जरूर लगता है लेकिन यह यहां की परंपराओं में शामिल है. गुरु पूर्णिमा के दिन घर की बहुओं की विशेष पूजा की जाती है. इसके साथ ही सास अपनी बहू की आरती भी उतारती हैं. हालांकि कोई जरूरी नहीं है कि यह काम सास ही करे बल्कि कोई भी घर की वरिष्ठ महिला अपनी बहू की आरती उतार सकती है. मान्यता है कि जिस घर में जितनी बहू होती हैं, उतनी ही पुतरियां ( एक प्रकार का व्यंजन) बनाई जाती हैं.

क्या खास है बुंदेलखंड में आज

Guru Purnima Celebration 2021: इस खास प्रथा के बारे में बताते हुए उत्तर प्रदेश के डॉक्टर चित्रगुप्त कहते हैं कि गुरु पूर्णिमा पर बुंदेलखंड में अलग ही आयोजन किया जाता है. वे बताते हैं कि घर की बहू में स्नान कर नए परिधान और आभूषण धारण करती हैं. इसके बाद घर की बुजुर्ग महिलाएं इन बहुओं को लक्ष्मी मानकर उनकी पूजा करती हैं. इसके साथ ही अपने हाथों से बुंदेली पकवान बनाए जाते हैं. घर की परंपराओं को बहूओं को सौंपते हुए सास उनके तिलक करती हैं और गीत गाए जाते हैं

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स्त्रियों को माना जाता है लक्ष्मी स्वरूपा

Guru Purnima Celebration 2021: डॉक्टर चित्रकूट कहते हैं कि बुंदेलखंड में शुरू से ही महिलाएं और पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर चलते आए हैं. वे बताते हैं कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बाद से यहां के लोगों की सोचने समझने की शक्ति में काफी परिवर्तन आया है. वे बताते हैं कि यहां आज भी खेतों में और सड़कों पर महिलाएं काम करती दिख जाती हैं. यही कारण है कि बुंदेलखंड में पुरुष और महिलाओं को बराबर का सम्मान दिया जाता है. उन्हें लक्ष्मी स्वरूपा मांग कर गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा की जाती है.

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सोमवार, 23 दिसम्बर , 2024

Guru Purnima Celebration 2021: देश में यहां आज के दिन होती है बहुओं की पूजा, सास उतारती है ‘बहुओं की आरती’-Hindi News

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बुंदेलखंड | Guru Purnima Celebration 2021: भारत देश की ताकत अनेकता में एकता है. यही कारण है कि हर त्योहारों को मनाने का देश भर में अलग अलग तरीका देखने को मिलता है. उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में गुरु पूर्णिमा के दिन एक अलग तरह का ही आयोजन किया जाता है. इस आयोजन के बारे में सुनकर आपको थोड़ा अटपटा जरूर लगता है लेकिन यह यहां की परंपराओं में शामिल है. गुरु पूर्णिमा के दिन घर की बहुओं की विशेष पूजा की जाती है. इसके साथ ही सास अपनी बहू की आरती भी उतारती हैं. हालांकि कोई जरूरी नहीं है कि यह काम सास ही करे बल्कि कोई भी घर की वरिष्ठ महिला अपनी बहू की आरती उतार सकती है. मान्यता है कि जिस घर में जितनी बहू होती हैं, उतनी ही पुतरियां ( एक प्रकार का व्यंजन) बनाई जाती हैं.

क्या खास है बुंदेलखंड में आज

Guru Purnima Celebration 2021: इस खास प्रथा के बारे में बताते हुए उत्तर प्रदेश के डॉक्टर चित्रगुप्त कहते हैं कि गुरु पूर्णिमा पर बुंदेलखंड में अलग ही आयोजन किया जाता है. वे बताते हैं कि घर की बहू में स्नान कर नए परिधान और आभूषण धारण करती हैं. इसके बाद घर की बुजुर्ग महिलाएं इन बहुओं को लक्ष्मी मानकर उनकी पूजा करती हैं. इसके साथ ही अपने हाथों से बुंदेली पकवान बनाए जाते हैं. घर की परंपराओं को बहूओं को सौंपते हुए सास उनके तिलक करती हैं और गीत गाए जाते हैं

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Guru Purnima Celebration 2021: डॉक्टर चित्रकूट कहते हैं कि बुंदेलखंड में शुरू से ही महिलाएं और पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर चलते आए हैं. वे बताते हैं कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बाद से यहां के लोगों की सोचने समझने की शक्ति में काफी परिवर्तन आया है. वे बताते हैं कि यहां आज भी खेतों में और सड़कों पर महिलाएं काम करती दिख जाती हैं. यही कारण है कि बुंदेलखंड में पुरुष और महिलाओं को बराबर का सम्मान दिया जाता है. उन्हें लक्ष्मी स्वरूपा मांग कर गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा की जाती है.

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