बस्ती, 04 जनवरी लाइव भारत समाचार :- प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर में ‘समाज निर्माण में साहित्यकारों की भूमिका’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। गोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुये वरिष्ठ चिकित्सक एवं साहित्यकार डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि अंधेरी रात चाहे कितनी भी लम्बी क्यों ना हो उसका सवेरा जरूर होता है।
साहित्यकार आज भी प्रतिबद्ध है। समाज में आ रही निरन्तर गिरावट से वह थोड़ा परेशान जरूर है। समय के साथ सामंजस्य बिठाकर वह समाज, युवा और राष्ट्र को जागृत करने की दिशा में अग्रसर है। विशिष्ट अतिथि श्याम प्रकाश शर्मा और बी.के. मिश्र ने कहा कि साहित्यकार का यह पवित्र दायित्व होता है कि वह अपनी सभ्यता, संस्कृति और देश को भटकने न दे। अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि जब भी देश की संस्कृति स्वतंत्रता या राष्ट्रीयता खतरे में होती है तो युगीन साहित्यकार अपनी लेखनी द्वारा समाज में नव प्राण का संचार करता है।
इस अवसर पर हिन्दी साहित्य सेवा समिति द्वारा डा. वी.के. वर्मा को राष्ट्रीय साहित्य सर्जक सम्मान से विभूषित किया गया। कार्यक्रम के दूसरे चरण में वरिष्ठ कवि डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ के संयोजन में काव्य गोष्ठी आयोजित किया गया। डा. जगमग ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी के साहित्यकार भी समाज एवं राष्ट्र को अपने उच्च विचारों से सुदृढ़ करने में लगे हैं। वर्तमान समय में इनकी भूमिका और विस्तृत हो गई है। अनुरोध श्रीवास्तव, डा. अजीत श्रीवास्तव ‘राज’ दीपक सिंह प्रेमी, शाद अहमद शाद, सुशील सिंह पथिक, राघवेन्द्र शुक्ल, असद वस्तवी, अजमतअली सिद्दीकी की रचनाओं को श्रोताओं ने सराहा।
रिपोर्ट: अनिल श्रीवास्तव लाइव भारत समाचार